
अमेरिकी बैंकों का पतन
– फोटो : amarujala.com
विस्तार
बीते एक पखवाड़े के दौरान तीन अमेरिकी बैंकों के डूबने की खबरें सामने आ चुकी हैं। हालांकि अमेरिकी सरकार इन्हें बचाने के लिए आगे आई है पर इनका भविष्य क्या होगा इसे लेकर अब भी अनिश्चितता कायम है। बीते शुक्रवार को बैंक रन की स्थिति बनने के बाद नियामकों ने सिलिकॉन वैली बैंक में तालाबंदी का फैसला लिया। रविवार आते-आते न्यूयॉर्क स्थित एक और प्रमुख बैंक सिग्नेचर बैंक भी धराशायी हो गया। एसवीबी में तालाबंदी से दो दिन पहले क्रिप्टो बैंक सिल्वरगेट ने भी अपना कारोबार बंद करने का एलान किया था। रविवार को एक संयुक्त बयान में अमेरिका के ट्रेजरी डिपार्टमेंट फेडरल रिजर्व और फेडरल डिपॉजिट इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ने कहा कि संकटग्रस्त बैंकों में जमा राशि की गारंटी दी जाएगी, पर ऐसा करदाताओं के पैसे ने नहीं किया जाएगा।
563 अमेरिकी बैंक 2001 से अब तक डूब चुके हैं
एफडीआईसी के अनुसार 2001 के बाद से अब तक 563 बैंकों का पतन हुआ है। अक्तूबर 2020 में कनसास स्थित अलमेना स्टेट बैंक के धराशायी होने के बाद एसवीबी और सिग्नेचर बैंक का नाम भी इस लिस्ट में शामिल हो चुका है। एसवीबी और सिग्नेचर बैंक का पतन अमेरिकी इतिहास का दूसरा और तीसरा सबसे बड़ा बैंक पतन रहा। वर्ष 2008 की मंदी के दौरान वाशिंगटन म्यूचुअल के साथ हुआ हादसा दुनिया में अब तक का सबसे बड़ा बैंक पतन माना जाता है।
एसवीबी और सिग्नेचर बैंक कैसे डूबे?
अपने एक बयान में फेड ने कहा है कि अमेरिकी बैकिंग सिस्टम अब भी लचीला बना हुआ है और इसका एक मजबूत आधार है। 2008 की आर्थिक मंदी के बाद उस स्थिति से भविष्य में बचाव के लिए जो कदम उठाए गए वे बैंकिंग सेक्टर के लिए बहुत उपयोगी साबित हुए हैं। हालांकि कुछ फैसलों से नुकसान भी हुआ है। वर्ष 2018 में डोनल्ड ट्रंप के शासन काल में कांग्रेस ने 250 बिलियन डॉलर से कम की संपत्ति वाले क्षेत्रीय बैंकों को डॉड-फ्रैंक एक्ट से बाहर कर दिया। एफडीआईसी के अनुसार एसवीबी के पतन के समय उसकी संपत्ति 209 बिलियन डॉलर थी। सीनेट बैंकिंग कमिटी की अध्यक्ष एलिजाबेथ वॉरेन डी-मास के अनुसार एसवीबी के पतन का एक कारण डॉड-फ्रैंक एक्ट को वापस लेना था। उन्होंने कहा कि इस फैसले से बैंक की निगरानी और पूंजीगत जरूरतें दोनों कम हो गई थी। अंततः यह बैंक के पतन का कारण बना। आइए समझें यह कैसे हुआ?
कैसे ‘बैंक रन’ के शिकार हुए अमेरिकी बैंक?
अमेरिका के तीन बड़े बैंकों का बुरा हाल कैसे हुआ? इसका सबसे सटीक जवाब है ‘बैंक रन’। बैंक के लिए यह स्थिति तब बनती है जब जमाकर्ता बैंक के कंगाल होने की आंशका से बिना सोचे-समझे होड़ लगाकर पैसा निकालने लगते हैं। एसवीबी बैंक में तालाबंदी का कारण यही था। बीते बुधवार को एवीबी के सीईओ ग्रेग बैक ने बैंक के निवेशकों (शेयर होल्डर्स) को लिखा कि एसवीबी को अमेरिकी ट्रेजरी और मॉर्टगेज समर्थित सिक्योरिटीज की बिक्री से 1.8 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है। बेकर ने संकेत दिया था कि बैंक अपनी वित्तीय स्थिति सुधारने के लिए 2.25 अरब डॉलर जुटाने की योजना बना रही है।
एक साथ ही जमाकर्ताओं ने निकाल लिए 3.48 लाख करोड़ रुपये
SVB बैंक की ओर से की गई इस घोषणा ने उसके ग्राहकों के बीच पैनिक का माहौल बनाया। उन्होंने गुरुवार (9 मार्च) को एक साथ ही बैंक से 42 अरब डॉलर (3.48 लाख करोड़ रुपये) की निकासी कर ली। शुक्रवार की सुबह होते-होते एसवीबी का बैलेंस माइनस 958 मिलियन डॉलर (-7929 करोड़ रुपये) पर पहुंच गया। उसके तुरंत बाद एफडीआईसी ने घोषणा कर दी कि उसने एसवीबी का टेकओवर कर लिया है, और उसके स्थान पर नए डिपॉजिट इन्श्योरेंस नेशनल बैंक ऑफ सैंटा क्लारा की स्थापना की गई है। जमाकर्ताओं की बीमित राशि का भुगतान इसी के माध्यम से किया जाएगा।
सिग्नेचर बैंक के साथ क्या गड़बड़ी हुई?
उसके बाद रविवार को न्यूयॉर्क के राज्य नियामकों ने सिग्नेचर बैंक को भी बंद करने का फैसला लिया। यह बैंक मुख्य रूप से रियल एस्टेट और लॉ फर्म्स को अपनी सेवाएं उपलब्ध कराती थी। हाल के दिनों में उसने क्रिप्टोकारोबार में भी हाथ आजमाना शुरू किया था। सिग्नेचर बैंक में भी एवीबी जैसे बैंक रन के हालात बने। एफडीआईसी ने तुरंत इसका भी टेकओवर किया और नए सिग्नेचर ब्रिंच बैंक एनए की स्थापना की।
सिग्नेचर बैंक भी बहुत हद तक सिलिकॉन वैली बैंक के पतन की खबर के बाद मची अफरा-तफरी का शिकार हुआ और नियामकों ने आखिरकार उसके बंदी की घोषणा कर दी। सिग्नेचर बैंक का पतन चुनौतियों को भी रेखांकित करता है जिसका छोटे और मध्यम आकार के बैंक सामना करते हैं। अक्सर ऐसे बैंक जेपी मॉर्गन चेस या बैंक ऑफ अमेरिका जैसे दिग्गज बैंकों की तुलना में ग्राहकों का सीमित आधार रखते हैं। यह स्थिति उन्हें बैंक रन जैसी स्थिति से निपटने में कमजोर बनाता है।
जैसे ही सिलिकॉन वैली बैंक की परेशानियों के बारे में पिछले हफ्ते खबर फैलनी शुरू हुई, सिग्नेचर के व्यापारिक ग्राहकों ने बैंक को फोन करना शुरू कर दिया, और यह पूछने लगे कि क्या उनकी जमा राशि सुरक्षित है। कई लोग चिंतित थे कि उनकी जमा राशि जोखिम में हो सकती है क्योंकि सिलिकॉन वैली के व्यापारिक ग्राहकों की तरह सिग्नेचर बैंक के भी अधिकांश के खातों में 250,000 से से अधिक थे। FDIC केवल इतनी ही राशि की बीमा के तहत गारंटी देती है। ऐसे में यहां भी बैंक रन जैसी स्थिति बन गई, और लोग एक के बाद एक अपना पैसा निकालने लगे और बैंक की संपत्ति निम्नतम स्तर पर पहुंच गई।
क्या क्रिप्टोबाजार में गिरावट और सिल्वरगेट के पतन का भी असर पड़ा?
क्रिप्टो में निवेश के कारण सिग्नेचर बैंक की जमा राशि 2021 में 67% बढ़ी। लेकिन पिछले साल जैसे ही क्रिप्टो एक्सचेंज एफटीएक्स क्रैश होकर दिवालिया घोषित हो गया, इससे सिग्नेचर बैंक को बड़ा नुकसान हुआ। एक साल के दौरान कंपनी की जमा राशि में 17 अरब डॉलर (1.40 लाख करोड़ रुपये) यानी करीब 17 प्रतिशत की गिरावट आई। बैंक ने उस समय बताया था कि गिरावट का बड़ा कारण उसका क्रिप्टो में योजनाबद्ध तरीके से निवेश कम करना है।
जनवरी महीने के आंकड़े जारी होने के बाद तत्कालीन सीईओ जोसेफ डेपाउलो ने कहा था कि सिग्नेचर बैंक भौगोलिक रूप से अपना विस्तार करना चाहती है। हालांकि शेयर बाजार में बैंक का हाल कुछ और ही बयां करता दिखा। वर्ष 2022 की शुरुआत में 365 डॉलर (30,172 रुपये) के उच्चतम भाव पर पहुंचने के बाद कंपनी के शेयरों में बड़ी गिरावट आई है। 10 मार्च को जब कंपनी के शेयरों में लेनदेन रोका गया उस समय इसके शेयर 70 डॉलर (5,787 रुपये) के भाव पर कारोबार करते दिखे।
सिल्वरगेट बैंक के कारोबार बंद करने की घोषणा के बाद शुरू हुई उथल-पुथल
एसवीबी और सिग्नेचर बैंक से पहले क्रिप्टो फ्रेंडली अमेरिकी बैंक सिल्वरगेट कैपिटल कॉर्प ने भी अपना बिजनेस बंद करने की घोषणा की थी। कंपनी ने बताया था कि उसने ऐसा अपने घाटे से निपटने के लिए किया। सिल्वर गेट कैपिटल ने क्रिप्टो बैंकिंग में भी कामकाज को बंद करने का एलान कर किया था। इस फैसले के बाद सिल्वर गेट के शेयर में 40% से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई। सिल्वरगेट ने चौथी तिमाही में लगभग $1 बिलियन डॉलर का घाटा दर्ज किया था।
बैंक का कस्टमर डिपॉजिट 68% से घटकर $3.8 बिलियन रह गया था। विथड्रावल को कवर करने के लिए सिल्वरगेट को $5.2 बिलियन की डेट सिक्योरिटीज बेचनी पड़ीं थीं। कंपनी अतिरिक्त $4.3 B के लिए फेडरल होम लोन बैंक का भी दरवाजा खटखटाया था। बाजार नियामक सिल्वरगेट की जांच कर रहे थे। कंपनी ने वित्त वर्ष 31 दिसंबर, 2022 तक अपनी वार्षिक रिपोर्ट सबमिट नहीं की थी. इसके लिए कंपनी को 16 मार्च तक का समय दिया गया था लेकिन कंपनी ने उसके पहले ही अपना कारोबार बंद करने का फैसला कर लिया।